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(as of Apr 21, 2025 07:47:20 UTC – Details)
यह पुस्तक जैन धर्म की प्राचीन कथाओं को समर्थन करती है और उनकी महत्त्वपूर्णता को उजागर करती है।यह कथाएँ धार्मिक और सांस्कृतिक संदेशों को एक सरल और समझने योग्य रूप में प्रस्तुत करती हैं।इस पुस्तक में उपलब्ध कथाएँ जीवन के मूल्यों, नैतिकता, और साहस को प्रोत्साहित करती हैं।जैन कथाएँ भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इस पुस्तक के माध्यम से आप उन्हें और अधिक समझ सकते हैं।इस पुस्तक के माध्यम से आप जैन धर्म के मूल सिद्धांतों, तत्त्वों, और इतिहास को विस्तार से जान सकते हैं।यह पुस्तक आपको धार्मिकता और धर्म के महत्व को समझने में मदद करेगी और आपके जीवन में नई प्रेरणा प्रदान करेगी।जैन कथाएँ जीवन की सच्चाई और धर्म के महत्व को सरलता से समझाने में सहायक होती हैं।इस पुस्तक का पठन आपको ध्यान में शान्ति, चित्त की स्थिरता, और आत्मा के प्रकाश की ओर ले जाएगा।इस पुस्तक में उपलब्ध कथाएँ आपको जीवन में संतोष और सहयोग की खोज में मदद करेंगी।यह पुस्तक धर्म, संस्कृति, और मानवता के महत्वपूर्ण विषयों पर गहरा विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
From the Publisher
Jain Dharma Ki Kahaniyan by Dhruva Kumar
प्रस्तुत पुस्तक की जैन कहानियों में कथोपकथन के माध्यम से केवल मनोविनोद ही नहीं होता, बल्कि उनमें जीवन की सरस अनुभूतियों के साथ संस्कृति,।.
जैन धर्म की कहानियाँ—ध्रुव कुमार जैन संस्कृति बड़ी प्राचीन है। यह स्वयं में इतनी व्यापक, मौलिक तथा चिंतनपरक है कि इसे किसी विशिष्ट संस्कृति की परिधि में आबद्ध नहीं किया जा सकता। जैन धर्म और संस्कृति ने विश्व की अनेक संस्कृतियों को किसी-न-किसी रूप में प्रभावित किया है। कहानी साहित्य की एक प्रमुख विधा है, जिसे सबसे अधिक लोकप्रियता प्राप्त हुई है। हमारे प्राचीनतम साहित्य में कथा के तत्त्व जीवित हैं। जैन कथा साहित्य न केवल भारतीय कथा साहित्य का जनक रहा है, अपितु संपूर्ण विश्व कथा साहित्य को उसने प्रेरणा दी है। भारत की सीमाओं को लाँघकर जैन कथाएँ अरब, चीन, लंका, यूरोप आदि देश-देशांतरों में पहुँची हैं और अपने मूल स्थान की भाँति वहाँ भी लोकप्रिय हुई हैं। जैन कथा साहित्य के कथानक बड़े मर्मस्पर्शी हैं और व्यापक भी। जीवन के शाश्वत तत्त्वों का इनमें निरूपण हुआ है तथा पात्रों का चरित्र स्वाभाविक रूप में होने के कारण सर्वग्राह्य बन पड़ा है। इन कहानियों में तीर्थंकरों, श्रमणों एवं श्लाकापुरुषों की जीवनगाथाएँ मुख्य हैं, जिनमें धर्म के सिद्धांतों का स्पष्टीकरण होता चलता है। प्रस्तुत पुस्तक की जैन कहानियों में कथोपकथन के माध्यम से केवल मनोविनोद ही नहीं होता, बल्कि उनमें जीवन की सरस अनुभूतियों के साथ संस्कृति, सभ्यता, दर्शन तथा धर्म की व्याख्या भी मिलती है।.
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अच्छा कर्म; अच्छा ज्ञान; अच्छा चरित्र; इंद्रिय-विजय; मन पर नियंत्रण; भावना; एकाग्रता एवं स्मरण-शक्ति जैसे सद्गुणों को जब कहानियों में गुंफित किया जाता है तो वे बहुत रोचक हो जाते हैं। मानव-मूल्यों को सर्वसुलभ बनाने के लिए प्रेरक बोधकथाओं का उत्कृष्ट संकलन।
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तीस वर्ष की आयु में गृह त्याग करके; उन्होंने एक लँगोटी तक का परिग्रह रखा। हिंसा; पशुबलि; जात-पाँत का भेदभाव जिस युग में बढ़ गया; उसी युग में भगवान् महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य व अहिंसा का पाठ पढ़ाया। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को उच्चतम नैतिक गुण बताया।
Jain Dharma Ki Kahaniyan
जैन कथा साहित्य के कथानक बड़े मर्मस्पर्शी हैं और व्यापक भी। जीवन के शाश्वत तत्त्वों का इनमें निरूपण हुआ है तथा पात्रों का चरित्र स्वाभाविक रूप में होने के कारण सर्वग्राह्य बन पड़ा है। इन कहानियों में तीर्थंकरों; श्रमणों एवं श्लाकापुरुषों की जीवनगाथाएँ मुख्य हैं; जिनमें धर्म के सिद्धांतों का स्पष्टीकरण होता चलता है।
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Dhruv Kumar
जन्म : 20 दिसंबर, 1965।शिक्षा : प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व तथा पत्रकारिता में एम.ए., एम.एड., एम.फिल. एवं पी.एच-डी.।प्रकाशन : ‘जैन धर्म और बिहार’, ‘जैन धर्म की कहानियाँ’, ‘जैन धर्म के चौबीस तीर्थकर’, ‘बिहार-झारखंड के जैन तीर्थ स्थल’, ‘जैन शिक्षा’, ‘स्त्री शिक्षा’, ‘किताबों की दुनिया : पटना पुस्तक मेला’ सहित डेढ़ दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। विगत ढाई दशकों से रंगकर्म, पत्रकारिता एवं समाचार वाचन कार्य में सक्रिय। कई दैनिक पत्रों एवं पत्रिकाओं में संवाददाता, उप-संपादक तथा म्यूरोचीफ रहे।पुरस्कार सम्मान : ‘भगवान् महावीर शिखर सम्मान’, ‘आनंद शास्त्री पत्रकारिता सम्मान’, ‘नवरंग सम्मान’, ‘कला कक्ष सम्मान’, ‘कलाश्री सम्मान’, ‘रोटरी क्लब पटना सम्मान’।संप्रति : प्राचार्य, आर.पी.एस. टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, पटना।
ASIN : 9380186096
Publisher : Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.; 1st edition (1 January 2017); New Delhi-110002 (PH: 7827007777) Email: prabhatbooks@gmail.com
Language : Hindi
Hardcover : 152 pages
ISBN-10 : 9789380186092
ISBN-13 : 978-9380186092
Reading age : 18 years and up
Item Weight : 277 g
Dimensions : 22 x 14 x 2 cm
Country of Origin : India
Net Quantity : 1 Count
Packer : Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
Generic Name : Book
Swapniljain –
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silja Dhandha –
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Lovely book
Garvi jain –
Excellent book
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Sudhanshu Rajvanshi –
Simple stories about Jain religion
The stories are simple, easy to understand in hindi language. Two sets of stories are on the same plot. Names and incidents are the same. Paryushan page 25 and Aradhana page 73 are on same incident. Likewise Sukh page 66 and Nath kaun page 138 also.